छात्र जीवन में सफलता के 8 नियम - 8 Rules of Success in Student Life

विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह इन आठ दोषों का त्याग करे: सफलता की ओर पहला कदम

विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन और सही आदतों का होना बहुत जरूरी है। शास्त्रों और प्राचीन ग्रंथों में यह बताया गया है कि एक विद्यार्थी को अपने जीवन में कुछ दोषों से दूर रहना चाहिए। इन्हीं दोषों को त्यागकर विद्यार्थी विद्या अर्जन कर सकता है और जीवन में सफल हो सकता है।

नीचे दिए गए श्लोक में विद्यार्थियों के लिए आवश्यक आठ दोषों को त्यागने की बात कही गई है:

कामक्रोधी तथा लोभं स्वायु श्रृङ्गारकौतुरके ।
अतिनिद्रातिसेवे च विद्यार्थी ह्मष्ट वर्जयेत् ।।

इस श्लोक का अर्थ है कि विद्यार्थी को आठ प्रमुख दोषों को त्यागना चाहिए। ये दोष हैं: काम (वासना), क्रोध, लोभ, स्वादिष्ठ भोजन, श्रृंगार, हंसी-मजाक, अत्यधिक निद्रा (नींद), और शरीर सेवा में अधिक समय देना। इन दोषों को त्याग कर ही विद्यार्थी को विद्या प्राप्त हो सकती है। आइए, इन दोषों को विस्तार से समझते हैं:

1. काम (वासना)

काम वासना एक व्यक्ति के मन को अशांत और विचलित कर सकती है। विद्यार्थी को काम भावनाओं से दूर रहना चाहिए, ताकि उसका ध्यान केवल पढ़ाई और जीवन के उद्देश्यों पर केंद्रित रहे। यह भावना मानसिक और शारीरिक शांति को भंग कर सकती है, जिससे शिक्षा के प्रति समर्पण कम हो जाता है।

2. क्रोध

क्रोध मनुष्य को अंधा बना देता है। गुस्से में व्यक्ति सही और गलत का अंतर नहीं समझ पाता और अपने निर्णयों में गलतियाँ कर बैठता है। विद्यार्थी को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए, ताकि वह शांतिपूर्ण तरीके से अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सके। क्रोध शिक्षा के मार्ग में एक बहुत बड़ी बाधा है।

3. लोभ

लोभ यानी किसी चीज़ को अधिक पाने की लालसा। विद्यार्थी को लोभ से दूर रहना चाहिए। लोभ चाहे धन, वस्त्र, या किसी अन्य भौतिक सुख-सुविधा का हो, यह व्यक्ति के मन को विचलित करता है और उसे सही मार्ग से भटका देता है।

4. स्वादिष्ठ भोजन का लालच

स्वादिष्ट भोजन की लालसा व्यक्ति को अपने लक्ष्य से दूर कर सकती है। अति खाने से आलस्य और थकान महसूस होती है, जिससे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। एक विद्यार्थी को सादा और संतुलित भोजन करना चाहिए, ताकि उसका मन और शरीर स्वस्थ रहे।

5. श्रृंगार

विद्यार्थी को अनावश्यक श्रृंगार से दूर रहना चाहिए। श्रृंगार का अत्यधिक ध्यान विद्यार्थी का समय और ऊर्जा व्यर्थ कर सकता है। इस समय को यदि पढ़ाई और व्यक्तिगत विकास में लगाया जाए, तो बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

6. हंसी-मजाक

हालांकि हंसी-मजाक जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन विद्यार्थी को इसमें अति नहीं करनी चाहिए। हंसी-मजाक में समय व्यर्थ करने से पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता। यह विद्यार्थी को उसके लक्ष्य से दूर ले जा सकता है, इसलिए इसे सीमित रखना आवश्यक है।

7. अतिनिद्रा (अत्यधिक नींद)

अधिक नींद व्यक्ति को आलसी बना देती है। विद्यार्थी को अपनी नींद के समय को संतुलित रखना चाहिए। अत्यधिक नींद से दिनभर सुस्ती महसूस होती है, जिससे पढ़ाई और अन्य कार्यों में मन नहीं लगता। पर्याप्त और संतुलित नींद ही विद्यार्थी के लिए उपयुक्त है।

8. शरीर सेवा में अधिक समय न लगाएं

अपने शरीर का ध्यान रखना जरूरी है, लेकिन अत्यधिक समय शरीर सेवा में लगाना विद्यार्थी के लिए हानिकारक हो सकता है। शरीर को आराम देना और व्यायाम करना उचित है, परंतु इसमें बहुत अधिक समय व्यतीत करना शिक्षा और अन्य गतिविधियों में बाधा उत्पन्न कर सकता है।


निष्कर्ष

विद्यार्थी जीवन एक ऐसा समय होता है, जब व्यक्ति को अपने भविष्य की नींव रखनी होती है। यदि इस समय में हम अनुशासन और संयम के साथ रहते हैं और इन आठ दोषों को त्यागते हैं, तो हम न केवल विद्या अर्जित कर सकते हैं, बल्कि जीवन में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
इसलिए, एक विद्यार्थी के रूप में इन दोषों से दूर रहकर अपने जीवन को सही दिशा में ले जाना अत्यंत आवश्यक है।

"संयम और अनुशासन सफलता की कुंजी है, इन आठ दोषों को त्यागें और सफलता के मार्ग पर चलें।"


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