January 15-Army Day
Army Day: जानिए 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है सेना दिवस, कौन बना पहला लेफ्टिनेंट जनरल

Army Day 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है?
आजादी के बाद देश में कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी थीं और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा था. भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे. 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के एम करियप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे. उस समय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे. केएम करियप्पा के सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद से ही हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाने लगा.

हर साल 15 जनवरी को जवानों के दस्ते और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड होती है और झांकियां निकाली जाती हैं. सेना दिवस को हर साल बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है.
बता दें कि केएम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) पहले ऐसे ऑफिसर थे, जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी. 1947 में भारत-पाक युद्ध में इंडियन आर्मी को कमांड किया था. करियप्पा साल 1953 में रिटायर हुए थे और 1993 में 94 साल की आयु में उनका निधन हुआ था.


Army Day 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है?
आजादी के बाद देश में कई प्रशासनिक समस्याएं पैदा होने लगी थीं और फिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को आगे आना पड़ा था. भारतीय सेना के अध्यक्ष तब भी ब्रिटिश मूल के ही हुआ करते थे. 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के एम करियप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे. उस समय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे. केएम करियप्पा के सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद से ही हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाने लगा.

बता दें कि केएम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) पहले ऐसे ऑफिसर थे, जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी. 1947 में भारत-पाक युद्ध में इंडियन आर्मी को कमांड किया था. करियप्पा साल 1953 में रिटायर हुए थे और 1993 में 94 साल की आयु में उनका निधन हुआ था.

ब्रिटिश थल सेना मुक्त हुई भारतीय सेना
आर्मी डे 15 जनवरी को आर्मी डे इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 15 जनवरी 1949 भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हो गया था। यही वजह है कि इस दिन को आर्मी दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश की आजादी के दो वर्ष बात इस भारतीय सेना को पूरी तरह आजादी मिली थी।
सर फ्रांसिस को मिली ये जिम्मेदारी
15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने के बाद ब्रिटिश इंडियन आर्मी दो हिस्से में बंट गई थी। एक पाकिस्तान आर्मी और दूसरी इंडियन आर्मी। लेकिन इसके बाद तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने सर फ्रांसिस को भारत में रुकने के लिए ताकि आने वाले सालों में इंडियन आर्मी बेहतर हो सके। सर फ्रांसिस को ही भारतीय सेना का नया कमांडिंग चीफ चुनने की जिम्मेदारी दी गई थी।
ये बने पहले लेफ्टिनेंट जनरल
आर्मी डे तय होने के बाद भारतीय सेना के पहले लेफ्टिनेंट जनरल बनने का गौरव केएम करिअप्पा को मिला। वे देश के पहले भारतीय के तौर पर कमांडर इन चीफ बने थे। करिअप्पा आजाद भारत के पहले सेना प्रमुख थे। केएम करिअप्पा को ''किप्पर'' नाम से भी बुलाया जाता है

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