राजीव दीक्षित: एक प्रेरणादायक जीवनी - Rajiv Dixit: An Inspirational Biography

राजीव दीक्षित: एक प्रेरणादायक जीवनी

राजीव राधेश्याम दीक्षित एक प्रमुख भारतीय समाजिक कार्यकर्ता और देशभक्त थे, जिन्होंने भारतीय स्वाभिमान और स्वदेशी के मुद्दों पर व्यापक कार्य किए। उनकी जीवन यात्रा और कार्यों ने उन्हें भारतीय समाज के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में शामिल कर दिया।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में हुआ। वे एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार से थे और उनकी शिक्षा का आरंभ उनके पिता राधेश्याम दीक्षित की देखरेख में हुआ। बचपन से ही वे भारतीय स्वतंत्रता के प्रति गहरी श्रद्धा और समर्पण रखते थे।

शिक्षा और प्रारंभिक करियर

राजीव दीक्षित ने अपनी स्कूली शिक्षा फिरोजाबाद जिले के गाँव से प्राप्त की और पी.डी. जैन इंटर कॉलेज से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1984 में के.के.एम. कॉलेज, जमुई, बिहार से इलेक्ट्रॉनिक और संचार में बी.टेक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपनी एम.टेक की डिग्री आई.आई.टी. खड़गपुर से प्राप्त की। हालांकि, उनका दिल हमेशा मातृभूमि की सेवा में लगा रहा, और उन्होंने विज्ञान की पढ़ाई के बावजूद सामाजिक कार्यों में अपनी ऊर्जा लगाई।

करियर और सामाजिक कार्य

राजीव दीक्षित ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ संघर्ष किया और स्वदेशी आंदोलन को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कोका कोला, पेप्सी, यूनिलीवर और कोलगेट जैसी कंपनियों की नीतियों और उत्पादों के खिलाफ आवाज उठाई, और इन कंपनियों के उत्पादों में विषैले तत्वों की उपस्थिति को उजागर किया। उनका मानना था कि ये कंपनियाँ भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा रही हैं।

स्वदेशी उत्पादों के समर्थन में, उन्होंने कई आंदोलन और अभियान चलाए। उन्होंने भारतीय सर्वोच्च न्यायालय से स्विस बैंकों में जमा काली सम्पत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग की और 495 लाख लोगों के हस्ताक्षर जुटाए। वे भारत के स्वाभिमान ट्रस्ट के सचिव बने और नई दिल्ली में एक स्वदेशी जागरण मंच का नेतृत्व किया।

राजीव दीक्षित ने कराधान प्रणाली में सुधार की आवश्यकता की बात की और दावा किया कि वर्तमान प्रणाली में भ्रष्टाचार की प्रमुख वजह नौकरशाही है। उन्होंने अमेरिकी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमलों के संदर्भ में भी सवाल उठाए और दावा किया कि ये हमले अमेरिका की सरकार द्वारा ही कराए गए थे।

साहित्य और उपलब्धियां

राजीव दीक्षित ने कई पुस्तकें लिखीं और लेक्चर दिए, जिनमें "स्वदेशी चिकित्सा", "गौ माता", और "पंचगव्य चिकित्सा" शामिल हैं। उनके विचार और कार्य डिजिटल मीडिया में भी संरक्षित हैं।

मृत्यु और विवाद

राजीव दीक्षित का निधन 30 नवम्बर 2010 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उनकी मृत्यु के कारणों पर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है, और उनकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। उनकी याद में हरिद्वार में भारत स्वाभिमान बिल्डिंग का निर्माण हुआ है, जिसका नाम राजीव भवन रखा गया है।

राजीव दीक्षित के जीवन और कार्य भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनकी दृढ़ता, समाज सेवा, और स्वदेशी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया।

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