भारत जागो! उठो जागो! लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत – ओ युवा भारत! - Wake up India! Wake up, wake up! Don't stop until the goal is reached – O young India!

भारत जागो! उठो जागो! लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत – ओ युवा भारत!

क्या आप सुन रहे हैं? यह वही आह्वान है जो वर्षों से भारत भूमि को जागृत करने के लिए गूंज रहा है – "उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत!" इस ध्वनि ने राष्ट्र को गहरी निद्रा से जगाया और उसे नई दिशा प्रदान की। यह वह आह्वान है जिसने युवा शक्ति को जागृत किया और राष्ट्र के हृदय में एक नई ऊर्जा का संचार किया।

यह आह्वान करने वाले कोई और नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्त संन्यासी, स्वामी विवेकानंद थे, जिनके विचारों ने भारत को आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास से भर दिया। उन्होंने न केवल भारत के गौरव को पुनः स्थापित किया, बल्कि युवा पीढ़ी को देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने की प्रेरणा दी।

19वीं सदी का भारत और विवेकानंद का प्रादुर्भाव

जब 19वीं सदी अपने उत्तरकाल में थी, तब भारत में भौतिकवाद, व्यक्तिवाद और संकीर्ण धार्मिक धारणाएं अपनी चरम सीमा पर थीं। लोग अपने-अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का शोषण कर रहे थे, और इन कठिन हालातों में आध्यात्मिकता तथा संवेदनशीलता जैसे मूल्यों का ह्रास हो रहा था। भारत, जो एक समय इन महान मूल्यों का प्रतीक था, अब अपनी पहचान खोने लगा था।

ऐसे समय में श्रीरामकृष्ण परमहंस और उनके महान शिष्य स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ। उन्होंने भारत को अपनी खोई हुई पहचान को पुनः प्राप्त करने का मार्ग दिखाया। स्वामी विवेकानंद ने भारतवासियों को यह विश्वास दिलाया कि वे किसी से कम नहीं हैं और उनके अंदर अपार शक्ति है, जिसे पहचानने और जागृत करने की आवश्यकता है।

स्वामी विवेकानंद: युवा भारत के प्रेरणा स्रोत

रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने विवेकानंद के बारे में कहा था, "आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद का अध्ययन कीजिए। उनमें सब कुछ सकारात्मक है, नकारात्मक कुछ भी नहीं।" स्वामी विवेकानंद की शिक्षा और उनके विचार भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक हैं। वे प्राचीन और आधुनिक, विज्ञान और अध्यात्म, राष्ट्रीयता और वैश्विकता का अद्भुत संगम थे।

स्वामी विवेकानंद ने युवा भारत को एक नया दृष्टिकोण दिया – आत्मविश्वास से भरा हुआ, और अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ संकल्पित। उन्होंने युवाओं को सिखाया कि वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं, बशर्ते कि वे खुद पर और अपने देश की ताकत पर विश्वास करें। उन्होंने कहा था, "उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।"

स्वामी विवेकानंद का आह्वान – आज भी प्रासंगिक

आज के संदर्भ में भी स्वामी विवेकानंद का आह्वान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उनके समय में था। आज भी, भारत को अपने युवा शक्ति की जरूरत है, जो देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित और समर्पित हो।

युवाओं से आह्वान:
ओ युवा भारत, तुम्हारे कंधों पर इस राष्ट्र का भविष्य है। यह तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम अपने सपनों को साकार करने के साथ-साथ इस महान राष्ट्र को भी गौरव के शिखर पर ले जाओ। स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं तुम्हें मार्गदर्शन देंगी, लेकिन उसे अमल में लाना तुम्हारी जिम्मेदारी है।

उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत!


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