गुरु कौन है? भगवान को मानें या गुरु को?
गुरु का स्थान भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन अक्सर यह सवाल हमारे मन में उठता है कि गुरु किसे कहें और गुरु का वास्तविक कार्य क्या होता है? गुरु शब्द की एक सामान्य परिभाषा यह है कि वह जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए, लेकिन क्या यह परिभाषा ही पर्याप्त है? क्या प्रकाश की ओर जाने से हम जाग जाएंगे?
गुरु को पूरी तरह से समझने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि उस 'अंधकार' का स्वरूप क्या है, जिसमें हम डूबे हुए हैं। क्योंकि अगर हम अपने अंधकार को ही नहीं पहचानते, तो उससे निकलने का सवाल ही नहीं उठता।
गुरु: अंधकार से प्रकाश तक की यात्रा
गुरु का कार्य हमें सीधे प्रकाश में लाना नहीं है। असल गुरु वह होता है जो पहले हमें हमारे अंधकार से परिचित कराता है। जैसे कि हम किसी लंबी यात्रा पर निकलने से पहले अपनी गाड़ी की जांच करते हैं, उसी तरह गुरु हमें हमारे मानसिक और भावनात्मक अंधकार की जांच करवाते हैं। एक अच्छा गुरु हमारे भीतर के अज्ञानता रूपी अंधकार पर कार्य करता है और इस यात्रा के दौरान हमें अपने आपसे जोड़ता है।
गुरु और शिष्य का संबंध
गुरु और शिष्य का संबंध अत्यंत गहन होता है। गुरु हमारे भीतर के अंधकार पर ध्यान केंद्रित करता है, उसे समझता है और धीरे-धीरे शिष्य को उस अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। एक सच्चा गुरु कभी भी शिष्य को सीधे प्रकाश में धकेलने का प्रयास नहीं करता, क्योंकि ऐसा करने से शिष्य का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।
गुरु शिष्य के साथ यात्रा करता है और उसे उसकी अज्ञानता से मुक्त करता है, ताकि शिष्य खुद अपने अंदर के प्रकाश को पहचान सके। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे चलती है और समय के साथ शिष्य को अपने भीतर छिपे हुए ज्ञान का अनुभव होता है।
अंधकार में छिपा प्रकाश
गुरु हमें यह सिखाते हैं कि हमारे भीतर का अंधकार ही हमारे भीतर के प्रकाश का स्रोत है। जिस प्रकार बीज के अंदर पेड़ छिपा होता है और पत्थर के अंदर मूर्ति, उसी प्रकार हमारे अज्ञानता के अंदर ज्ञान छिपा होता है। एक सच्चा गुरु इस छिपे हुए प्रकाश को प्रकट करने में मदद करता है।
गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं
भगवान और गुरु के बीच का फर्क भी यहीं पर है। भगवान से हम प्रार्थना कर सकते हैं, लेकिन गुरु वह है जो हमें हमारी खुद की सच्चाई से मिलवाता है। गुरु का मार्गदर्शन हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और हमें अंधकार से मुक्त करके सच्चे ज्ञान की ओर ले जाता है।
गुरु की महिमा को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि गुरु सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक होता है, जो हमें खुद की सीमाओं से परे ले जाता है।
निष्कर्ष
गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला पथप्रदर्शक होता है। गुरु के बिना हम अपने जीवन में सच्चे ज्ञान को प्राप्त नहीं कर सकते। गुरु ही वह शक्ति है, जो हमारे अज्ञान को खत्म करके हमें सत्य, प्रेम और ज्ञान की ओर अग्रसर करता है। इसलिए, गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर माना जाता है।
गुरु की महिमा को समझें और उनके मार्गदर्शन में अज्ञान के अंधकार से बाहर निकलें। यही गुरु का असली काम है – हमें अंधकार से मुक्त करके प्रकाश की ओर ले जाना।
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