3 नवंबर - मेजर सोमनाथ शर्मा पुण्यतिथि: वीरता और राष्ट्रभक्ति की अमर गाथा

💭 सुविचार
"देश की सेवा और सुरक्षा में जो बलिदान दिया जाता है, वह राष्ट्र की अमरता का प्रतीक बन जाता है।"
🌍 दिन विशेष - प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की पुण्यतिथि
आज हम भारतीय सेना के महान योद्धा और प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मेजर सोमनाथ शर्मा का बलिदान भारतीय सैन्य इतिहास में वीरता, देशभक्ति, और अद्वितीय साहस की मिसाल है। 3 नवंबर 1947 को, कश्मीर की रक्षा करते हुए, उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक देश की सीमाओं की रक्षा में अदम्य साहस का परिचय दिया।
मेजर सोमनाथ शर्मा का जीवन और वीरता
मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को हुआ था। वे बचपन से ही साहसी और दृढ़ निश्चयी थे। भारतीय सेना में भर्ती होकर, उन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन निस्वार्थ भाव से किया और हर कठिनाई का सामना बहादुरी से किया। 1947 में, जब कश्मीर पर हमला हुआ, तो मेजर सोमनाथ शर्मा अपनी टुकड़ी के साथ मोर्चे पर तैनात थे। उस समय उनके हाथ में प्लास्टर था, लेकिन इसके बावजूद वे कर्तव्यपालन से पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपने जवानों का नेतृत्व करते हुए अपनी आखिरी सांस तक संघर्ष किया और वीरगति को प्राप्त हुए।
प्रथम परमवीर चक्र विजेता
उनकी वीरता और बलिदान को सम्मानित करते हुए, भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, परमवीर चक्र से सम्मानित किया। वे इस सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय सैनिक बने, जो आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका अद्वितीय साहस, निष्ठा, और बलिदान भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास में अमर है।
मेजर सोमनाथ शर्मा की प्रेरणा
मेजर सोमनाथ शर्मा का जीवन राष्ट्रसेवा और कर्तव्यनिष्ठा का सच्चा प्रतीक है। उनका बलिदान हमें हमेशा याद दिलाता है कि देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करना ही सच्ची देशभक्ति है। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, हम सभी को उनकी वीरता से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने देश की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए।
जय हिंद!
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