भूपेन्द्रनाथ दत्त और क्रांतिकारी आंदोलन की धरोहर
भूपेन्द्रनाथ दत्त (क्रांतिकारी भूपेन्द्रनाथ दत्त) स्वामी विवेकानंद के छोटे भाई और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 5 जनवरी 1880 को लंदन के पास 'क्रोयडन' नामक कस्बे में हुआ। उनकी मृत्यु 18 अप्रैल 1959 को हुई। वे अध्यात्मवादी और स्वतंत्रता सेनानी अरविंद घोष के छोटे भाई थे।
अनुशीलन समिति का गठन और उद्देश्य
1907 में, भूपेन्द्रनाथ दत्त और बारीन्द्र कुमार घोष ने मिलकर 'अनुशीलन समिति' का गठन किया। इसका उद्देश्य था - "खून के बदले खून"। बंगाल विभाजन (1905) के विरोध में युवाओं को संगठित कर, यह समिति क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए जानी गई।
बारीन्द्र कुमार घोष का परिचय
बारीन्द्र कुमार घोष, जिन्हें बारिन घोष भी कहा जाता है, भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार थे। वे क्रांतिकारी विचारधारा के प्रचारक थे और 'स्वदेशी आंदोलन' के दौरान उन्होंने 1906 में बंगाली साप्ताहिक 'युगांतर' का प्रकाशन शुरू किया।
प्रमुख उपलब्धियाँ
- 1905: बंगाल विभाजन के बाद क्रांतिकारी विचारधारा को बढ़ावा दिया।
- 1907: 'अनुशीलन समिति' का गठन।
- 1906: 'युगांतर' नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।
- 1908: अलीपुर बम केस में गिरफ्तार हुए और अंडमान में 10 साल तक कैद रहे।
- 1920: रिहाई के बाद पत्रकारिता और आध्यात्मिक जीवन में सक्रिय रहे।
अनुशीलन समिति और युगांतर का योगदान
बारीन्द्र कुमार घोष और भूपेन्द्रनाथ दत्त ने 'युगांतर' को क्रांतिकारी विचारधारा का माध्यम बनाया। इस पत्रिका ने देश के युवाओं में राजनीतिक और धार्मिक शिक्षा का प्रसार किया। समिति ने लाठी, तलवार और बंदूक चलाने का प्रशिक्षण दिया, और युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया।
बारीन्द्र कुमार घोष का जीवन और लेखन
क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ-साथ उन्होंने कई प्रेरणादायक पुस्तकों की रचना की:
- द्वीपांतर बंशी (Dvipantarer Banshi)
- अमर आत्मकथा (Amar Aatmkatha)
- अग्नियुग (Agnijug)
- द टेल ऑफ़ माई एक्साइल (The Tale of My Exile)
निष्कर्ष
भूपेन्द्रनाथ दत्त और बारीन्द्र कुमार घोष ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने साहसिक योगदान से इतिहास रचा। उनकी कहानी नई पीढ़ी को प्रेरित करती है कि स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष करना एक पवित्र कर्तव्य है।
"खून के बदले खून" का नारा, आज भी उनके अदम्य साहस और बलिदान की गाथा सुनाता है।
FAQs: भूपेन्द्रनाथ दत्त और बारीन्द्र कुमार घोष की क्रांतिकारी भूमिका
1. भूपेन्द्रनाथ दत्त कौन थे?
भूपेन्द्रनाथ दत्त स्वामी विवेकानंद के छोटे भाई और एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। उन्होंने 1907 में कलकत्ता में 'अनुशीलन समिति' की स्थापना में योगदान दिया, जिसका उद्देश्य "खून के बदले खून" था।
2. बारीन्द्र कुमार घोष कौन थे?
बारीन्द्र कुमार घोष, जो बारिन घोष के नाम से भी जाने जाते हैं, अध्यात्मवादी अरविंद घोष के छोटे भाई थे। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय क्रांतिकारी और पत्रकार थे।
3. 'अनुशीलन समिति' का गठन क्यों किया गया?
'अनुशीलन समिति' का गठन 1907 में क्रांतिकारी गतिविधियों को संगठित करने और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए किया गया। इसका प्रमुख उद्देश्य "खून के बदले खून" था।
4. 'युगांतर' पत्रिका क्या थी?
'युगांतर' एक बांग्ला साप्ताहिक पत्रिका थी, जिसे बारीन्द्र कुमार घोष और भूपेन्द्रनाथ दत्त ने 1906 में प्रकाशित किया। इसका उद्देश्य क्रांति के विचारों का प्रचार करना और युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ना था।
5. बारीन्द्र कुमार घोष पर अलीपुर बम केस में क्या आरोप लगे?
1908 में बारीन्द्र कुमार घोष पर अलीपुर बम केस में शामिल होने का आरोप लगा। उन्हें मृत्युदंड दिया गया, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
6. बारीन्द्र कुमार घोष को अंडमान जेल में कब भेजा गया?
बारीन्द्र कुमार घोष को 1908 में अंडमान की सेल्युलर जेल भेजा गया, जहाँ उन्होंने 1920 तक कैद में समय बिताया।
7. बारीन्द्र कुमार घोष ने कौन-कौन सी पुस्तकें लिखीं?
बारीन्द्र कुमार घोष ने कई पुस्तकों की रचना की, जैसे:
- द्वीपांतर बंशी
- पाथेर इंगित
- अमर आत्मकथा
- अग्नियुग
- द टेल ऑफ माई एक्साइल
8. बारीन्द्र कुमार घोष ने पत्रकारिता में क्या योगदान दिया?
1920 में जेल से रिहाई के बाद उन्होंने पत्रकारिता में योगदान दिया। उन्होंने 'The Dawn of India' और 'दैनिक बसुमती' जैसे अखबारों में काम किया और संपादक के रूप में कार्य किया।
9. बारीन्द्र कुमार घोष का निधन कब हुआ?
बारीन्द्र कुमार घोष का निधन 18 अप्रैल, 1959 को हुआ।
10. अनुशीलन समिति के अन्य महत्वपूर्ण सदस्य कौन थे?
अनुशीलन समिति के अन्य प्रमुख सदस्य थे प्रमथनाथ मित्र, सतीश चंद्र बोस, चितरंजन दास, और सिस्टर निवेदिता।
11. 'भवानी मंदिर' पुस्तक का क्या महत्व है?
बारीन्द्र कुमार घोष द्वारा लिखित 'भवानी मंदिर' क्रांति से संबंधित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें स्वाधीनता के लिए लड़ने का संदेश दिया गया है।
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