Part 2 Positive Reflections on Life, Spirituality, and Virtue

 Positive Reflections on Life, Spirituality, and Virtue



परमार्थ का महत्व
“जो कोई करै सो स्वार्थी, अरस परस गुन देत । बिन किये करै सो सूरमा, परमारथ के हेत ॥”

✍️ परमार्थ ही संसार को चलाने का सार है।
✍️ सभी धर्मों में ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग परमार्थ से होकर जाता है।
✍️ प्रकृति, सूर्य, पृथ्वी, वायु, वृक्ष - ये सभी निस्वार्थ सेवा करते हैं।
✍️ जो उपकार के बदले में उपकार करे, वह स्वार्थी है; पर जो बिना किसी अपेक्षा के दूसरों की मदद करे, वही सच्चा परमार्थ करता है। 🙏🙏


रिश्तों में प्रेम का महत्व
प्रेम यदि रिश्ते के कारण हो, तो वो सामान्य बात है,
लेकिन यदि किसी का व्यवहार आपको प्रेम से भर दे, तो यह महत्वपूर्ण है। 💞

कर्म का फल व्यक्ति स्वयं नहीं तय कर सकता;
जो पुण्य कर्म तुम करते हो, प्रकृति उसे संचित कर रखती है और समय आने पर यथायोग्य फल देती है।
मनुष्य केवल अपने कर्मों का खाता रख सकता है, लेकिन उसका परिणाम प्रकृति तय करती है।

!!! सत्य कहना आसान है, पर सत्य सुनना कठिन है !!!
🙏सुप्रभात🙏


मालिक का साथ
मालिक कभी साथ नहीं छोड़ता।
जैसे श्रीराम जी ने बनवास में कांटे सहन किए, लेकिन उन्हें निकाला नहीं, उसी प्रकार ईश्वर भी अपने भक्तों का साथ नहीं छोड़ते, चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न हो। 🌹🙏


कर्मों का भुगतान
इंसान कितना भी मजबूत हो, अपने अपनों से हार ही जाता है।
वास्तव में दुख तब होता है जब उसे एहसास होता है कि जिसे वह महत्व देता है, उसकी नजरों में उसका कोई महत्व नहीं है।

रिश्ते केवल समझ पर नहीं, बल्कि गलतफहमियों से निपटने की क्षमता पर निर्भर करते हैं।
हमारी सोच और संगत हमारे कर्म और भविष्य को निर्धारित करती है।

कर्म जो करेगा, उसे भुगतना पड़ेगा। इसलिए सदा अच्छा सोचें और अच्छा करें। 🙏🌹


अगरबत्ती से मिलने वाले जीवन के सबक

  1. अस्थायित्व - अगरबत्ती हमें याद दिलाती है कि जीवन में सब कुछ अस्थायी है।
  2. सुगंध फैलाना - जैसे अगरबत्ती जलकर सुगंध फैलाती है, वैसे ही हमारी प्रतिभाएं हमारे प्रयास से दुनिया में पहचान पाती हैं।
  3. धैर्य और दृढ़ता - अगरबत्ती धीरे-धीरे जलती है, हमें धैर्य और दृढ़ता का पाठ पढ़ाती है।
  4. शुद्धि - अगरबत्ती की तरह हमें आत्म-परीक्षण और आत्म-सुधार करते रहना चाहिए।
  5. आध्यात्मिकता से जुड़ाव - अगरबत्ती धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होती है, हमें भी किसी बड़े उद्देश्य से जुड़ना चाहिए।
  6. विरासत - अगरबत्ती की सुगंध उसके जलने के बाद भी रहती है, हमारे कर्म भी हमारे जाने के बाद हमारे लिए बोलते हैं।
  7. विनम्रता - अगरबत्ती खुद जलकर सुगंध फैलाती है, हमें भी सेवा और निस्वार्थता का महत्व समझना चाहिए।

मन की शक्ति
“मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। कह कबीर हरि पाइए, मन ही की परतीत।”

✍️ जीवन में जीत और हार मन की सोच है। यदि मन से हार गए तो हार निश्चित है; यदि मन में विश्वास रखा तो जीत सुनिश्चित है।
✍️ ईश्वर को भी मन के विश्वास से पाया जा सकता है।

ईश्वर प्राप्ति का भरोसा यदि मन में न हो, तो कृपा कैसे प्राप्त होगी?


मुक्ति की चाह और बंधन की बेईमानी

"जब मुक्ति ही चाहिए, तो मुक्ति क्यों नहीं माँग लेते? चाहत मुक्ति की है और चुनते हो बंधन, ये तो बेईमानी है। जीवनभर हम बस बंधन ही चुनते रहते हैं। कभी इस बंधन में पड़ते हैं, तो कभी उस बंधन में। जब सम्बन्ध सही मायने में बंधन से मुक्त हो, तभी वह सचमुच ‘सम्बन्ध’ कहलाता है। पर हमारे सम्बन्ध तो अक्सर बस बंधन ही बनकर रह जाते हैं। एक बंधन तोड़ने की कोशिश करते हैं, तो दूसरा बना लेते हैं। चाहिए कुछ और, चुनते कुछ और हैं। यही बेईमानी है। जो चाहिए, उसे ही चुन लो, यही सरल और सच्ची बात है।"

~ आचार्य प्रशांत


राम को समझना - एक आदर्श दृष्टि

रावण ने सीता को समझाने का हर प्रयास किया, लेकिन सीता ने उसकी तरफ एक बार भी नहीं देखा। तब मंदोदरी ने सुझाव दिया कि रावण को राम के रूप में सीता के पास जाना चाहिए, जिससे शायद सीता उसकी बात सुने। रावण ने उत्तर दिया कि वह ऐसा कई बार कर चुका है। फिर मंदोदरी ने पूछा, “क्या सीता ने तब भी तुम्हारी ओर देखा?”

रावण ने कहा, “मैं खुद सीता को नहीं देख सका... क्योंकि जब भी मैं राम बनने का प्रयास करता हूँ, मुझे हर नारी अपनी माता या पुत्री के रूप में दिखने लगती है।”

यह कथा हमें यह सिखाती है कि राम के चरित्र को अपनाकर, हम अपने भीतर की पवित्रता को समझ सकते हैं। जब हम राम के चरित्र को अपने भीतर उतारेंगे, तब किसी भी नारी को गलत दृष्टि से देखने का विचार हमारे मन में नहीं आएगा।


एक बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा गया कि जीवन में सफलता कैसे प्राप्त होती है।
बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा, "इसका उत्तर जानने के लिए आपको आज रात का खाना मेरे घर पर खाना होगा।" रात को सभी दोस्त बुद्धिमान व्यक्ति के घर खाना खाने पहुंचे। उसने एक बड़े बर्तन में सूप भरकर टेबल के बीच में रख दिया और सभी को एक मीटर लंबा चम्मच दिया। सभी से कहा गया कि उन्हें इसी चम्मच से सूप पीना है।

सारे दोस्त आश्चर्यचकित होकर बुद्धिमान व्यक्ति को देखने लगे और सभी ने उस चम्मच से सूप पीने का खूब प्रयास किया, मगर वे सभी उसमें असफल रहे क्योंकि इतने लंबे चम्मच से सूप पीना बिल्कुल नामुमकिन था। सूप चेहरे पर गिरता, तो कभी कपड़ों पर। सारे दोस्तों ने परेशान होकर कोशिश करना छोड़ दी और बुद्धिमान व्यक्ति की ओर देखने लगे।

अपने दोस्तों को असफल होता देख, बुद्धिमान व्यक्ति मुस्कुराने लगा और उसने कहा, "अब देखो, मैं कैसे यह सूप पीता हूँ।" उसने उस बड़े चम्मच में सूप लिया और अपने सामने वाले व्यक्ति के मुंह से लगा दिया। इसके बाद सभी ने एक-दूसरे को सूप पिलाया, जिससे सभी का पेट भर गया।

इससे पहले, सभी सिर्फ अपना ही पेट भरने में लगे थे, इसलिए असफल रहे। जो व्यक्ति दूसरों को खिलाने की फिक्र करता है, वह कभी भूखा नहीं रहता। देने वाला, लेने वाले से ज्यादा फायदे में रहता है। इसलिए हमेशा देने वाले बनो। हमारी सफलता का रास्ता दूसरों की सफलता से होकर गुजरता है। दूसरों की सफलता हमेशा आपके कदम चूमेगी।

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