मोर की शिकायत

कहानी
किसी वन में एक सुंदर और विशाल मोर रहता था। उसके पंखों की रंग-बिरंगी छटा और अद्भुत सुंदरता सबका मन मोह लेती थी। उसकी चाल में एक शान और अदाएं थीं जो देखते ही सबको उसकी ओर आकर्षित कर लेतीं। जब भी वर्षा होती, मोर उत्साह से झूम उठता और अपनी सुन्दर पंखों को फैला कर नाचने लगता।
एक दिन, आकाश में घने बादल छा गए और मूसलाधार वर्षा होने लगी। मोर अपने संपूर्ण सौंदर्य के साथ उल्लास में भरकर नृत्य करने लगा। वर्षा की बूंदों में उसके पंख चमक उठे, और वह अपनी छवि को निहारते हुए गर्वित अनुभव कर रहा था। लेकिन तभी उसकी अपनी आवाज़ पर ध्यान गया—जो करुण, कठोर और बेसुरी थी। उसकी आवाज़ सुनते ही उसकी खुशी काफूर हो गई और उदासी से उसकी आँखों में आँसू आ गए।
उसी क्षण उसे समीप की एक डाल पर बैठी कोयल का मधुर स्वर सुनाई दिया। कोयल की आवाज इतनी मीठी और आकर्षक थी कि मोर फिर से अपने बारे में सोचने लगा—“भगवान ने मुझे इतनी सुंदरता तो दी, पर ये बेसुरी आवाज क्यों?” यह विचार उसके मन को और भी दुखी कर गया। अपनी निराशा में वह भगवान से प्रश्न करने लगा।
तभी वहाँ एक दिव्य ज्योति के साथ देवी प्रकट हुईं। उन्होंने मोर के आँसू पोछते हुए उससे पूछा, “मोर, तुम इतने उदास क्यों हो?”
मोर ने करुण स्वर में अपनी समस्या बताई, “माँ, आपने मुझे सुंदरता तो दी, पर मेरी आवाज इतनी कठोर क्यों? क्यों नहीं मुझे कोयल जैसी मीठी आवाज़ मिली?”
मोर की बात सुनकर देवी ने मुस्कुराते हुए कहा, “प्यारे मोर, हर प्राणी की अपनी एक विशेषता होती है। भगवान ने सभी को उनके अनुकूल और अद्वितीय बनाया है। कोयल को मीठी आवाज का वरदान मिला है, शेर को अद्वितीय बल मिला है, और तुम्हें अनुपम सौंदर्य का आशीर्वाद मिला है। हम सब ईश्वर द्वारा हमें दी गई इन विशेषताओं का आदर करें और जितना हमें मिला है, उसमें प्रसन्नता अनुभव करें। इस संसार में हर जीव अपने गुणों से ही संपूर्ण है।”
देवी की इस समझाइश ने मोर के मन को शांति दी। उसने समझा कि स्वयं की विशेषताओं का आदर और प्रशंसा करना ही सच्ची खुशी का आधार है। उसे यह अहसास हुआ कि हमें दूसरों से तुलना करने के बजाय अपने गुणों को निखारना चाहिए। उस दिन से मोर अपने रूप और रंग की सुंदरता के लिए प्रसन्न और गर्वित रहने लगा।
शिक्षा
सच्ची खुशी और संतोष दूसरों से तुलना में नहीं, बल्कि अपनी विशेषताओं का सम्मान करने में है। जो हमारे पास है, उसकी कद्र करना ही हमें सच्चे आनंद की ओर ले जाता है।
प्रश्न और उत्तर - मोर की शिकायत
प्रश्न: मोर की विशेषता क्या थी?
- उत्तर: मोर की विशेषता उसकी सुंदरता और रंग-बिरंगे पंख थे, जो सबका मन मोह लेते थे।
प्रश्न: मोर की खुशी का कारण क्या था?
- उत्तर: मोर की खुशी का कारण उसकी सुंदरता और वर्षा के दौरान नृत्य करना था।
प्रश्न: मोर को अपनी आवाज़ के बारे में क्यों चिंता थी?
- उत्तर: मोर को अपनी आवाज़ की करुणता और कठोरता के कारण चिंता थी, क्योंकि वह कोयल की मीठी आवाज़ की तुलना में अपनी आवाज़ को बेसुरी मानता था।
प्रश्न: मोर ने देवी से क्या पूछा?
- उत्तर: मोर ने देवी से पूछा कि उसे इतनी सुंदरता तो दी गई, लेकिन उसकी आवाज़ इतनी कठोर क्यों है और उसे कोयल जैसी मीठी आवाज़ क्यों नहीं मिली।
प्रश्न: देवी ने मोर को क्या समझाया?
- उत्तर: देवी ने मोर को समझाया कि हर प्राणी की अपनी विशेषता होती है और हमें अपनी विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्ची खुशी दूसरों से तुलना करने में नहीं, बल्कि अपने गुणों को पहचानने और उनकी कद्र करने में है।
प्रश्न: कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
- उत्तर: कहानी का मुख्य संदेश है कि सच्ची खुशी और संतोष दूसरों से तुलना में नहीं, बल्कि अपनी विशेषताओं का सम्मान करने में है।
प्रश्न: मोर ने अपनी समस्याओं के बारे में क्या महसूस किया?
- उत्तर: मोर ने महसूस किया कि उसे अपने रूप और रंग की सुंदरता के लिए गर्वित रहना चाहिए और दूसरों से तुलना करने के बजाय अपनी विशेषताओं को निखारना चाहिए।
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