अरुणा आसफ अली: विदेशी सरकार को खुली चुनौती देने वाली प्रमुख महिला(Aruna Asaf Ali: The leading woman who openly challenged the foreign government)

अरुणा आसफ अली: विदेशी सरकार को खुली चुनौती देने वाली प्रमुख महिला

जन्म और प्रारंभिक जीवन

अरुणा आसफ अली का जन्म 16 जुलाई 1909 को हरियाणा (तत्कालीन पंजाब) के कालका में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनका नाम 'अरुणा गांगुली' था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में प्राप्त की और उच्च शिक्षा लाहौर और नैनीताल से पूरी की। बाद में, वे कोलकाता के 'गोखले मेमोरियल कॉलेज' में शिक्षिका बनीं। बचपन से ही वे कुशाग्र बुद्धि की धनी थीं और पढ़ाई में अव्वल रहती थीं।

विवाह और जीवन की दिशा बदलना

1928 में 19 वर्ष की आयु में, अरुणा जी ने दिल्ली के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस नेता आसफ अली से प्रेम विवाह किया। यह अंतर्जातीय विवाह उनके परिवार की इच्छा के खिलाफ था, लेकिन अरुणा जी ने अपने स्वतंत्र विचारों के कारण यह निर्णय लिया। शादी के बाद वे अपने पति के साथ राजनीति में सक्रिय हो गईं।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

अरुणा आसफ अली ने भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने मुंबई में विरोध सभा आयोजित की और अंग्रेजी हुकूमत को खुली चुनौती दी। उन्होंने भूमिगत रहकर आंदोलन का नेतृत्व किया और नवजागरण के लिए पूरे देश में सक्रिय रहीं।

  • जेल यात्राएं:
    1930, 1932 और 1941 के सत्याग्रह आंदोलनों में उन्हें जेल की सजा हुई।
  • भूमिगत जीवन:
    1942 से 1946 तक वे भूमिगत रहीं और पुलिस की पकड़ में नहीं आईं।

राजनीतिक और सामाजिक जीवन

1946 में भूमिगत जीवन से बाहर आने के बाद, अरुणा जी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष चुनी गईं। 1948 में वे सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हुईं और बाद में 'लेफ्ट स्पेशलिस्ट पार्टी' बनाई। 1958 में वे दिल्ली नगर निगम की पहली महापौर बनीं और दिल्ली के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया।

सम्मान और पुरस्कार

अरुणा आसफ अली को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:

  • 1964: लेनिन शांति पुरस्कार
  • 1991: जवाहरलाल नेहरू अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार
  • 1992: पद्म विभूषण
  • 1997: मरणोपरांत भारत रत्न

उनके सम्मान में नई दिल्ली की एक सड़क का नाम 'अरुणा आसफ अली मार्ग' रखा गया।

एक संस्मरण

एक बार बस में सफर करते समय, एक व्यक्ति ने युवा महिला को सीट दी। महिला ने शिष्टाचार के तहत अपनी सीट अरुणा जी को दी। इस पर व्यक्ति ने आपत्ति जताई, तो अरुणा जी ने कहा, "माँ का अधिकार बहन से पहले होता है।"

निधन और विरासत

29 जुलाई 1996 को वृद्धावस्था में अरुणा जी का निधन हुआ। उनकी देशभक्ति और योगदान को आज भी याद किया जाता है।


मूल विचार

अरुणा आसफ अली का जीवन संघर्ष, साहस, और समर्पण का प्रतीक है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रेरणा थीं और आज भी भारत की महिलाओं के लिए आदर्श हैं।

FQCs (Frequently Asked Questions)
अरुणा आसफ़ अली के जीवन और उपलब्धियों पर आधारित:


1. अरुणा आसफ़ अली कौन थीं?

उत्तर:
अरुणा आसफ़ अली भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख क्रांतिकारी नेता थीं। उन्होंने 'भारत छोड़ो आंदोलन' में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और विदेशी सरकार को खुली चुनौती देने के लिए जानी जाती हैं।


2. अरुणा आसफ़ अली का जन्म और निधन कब हुआ?

उत्तर:
उनका जन्म 16 जुलाई 1909 को हरियाणा के कालका में हुआ और 29 जुलाई 1996 को वृद्धावस्था में उनका निधन हुआ।


3. अरुणा आसफ़ अली का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान क्या था?

उत्तर:
1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में उन्होंने सक्रिय भूमिगत भूमिका निभाई। गांधीजी की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने मुंबई में कांग्रेस का झंडा फहराकर अंग्रेजी सरकार को खुली चुनौती दी।


4. अरुणा आसफ़ अली ने किससे विवाह किया था?

उत्तर:
उन्होंने 1928 में 19 वर्ष की आयु में कांग्रेस नेता और वकील आसफ़ अली से अंतर्जातीय प्रेम विवाह किया।


5. अरुणा आसफ़ अली ने कौन-कौन से महत्वपूर्ण पद संभाले?

उत्तर:

  • 1947 में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष चुनी गईं।
  • 1958 में दिल्ली नगर निगम की पहली महापौर बनीं।
  • 'ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की उपाध्यक्ष रहीं।

6. अरुणा आसफ़ अली को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?

उत्तर:

  • 1964 में 'लेनिन शांति पुरस्कार'।
  • 1991 में 'जवाहरलाल नेहरू अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार'।
  • 1992 में 'पद्म विभूषण'।
  • 1997 में मरणोपरांत 'भारत रत्न'।

7. अरुणा आसफ़ अली का शिक्षा जीवन कैसा था?

उत्तर:
उन्होंने नैनीताल और लाहौर में शिक्षा प्राप्त की। वे पढ़ाई में अत्यंत मेधावी थीं और गोखले मेमोरियल कॉलेज, कोलकाता में शिक्षिका भी रहीं।


8. अरुणा आसफ़ अली ने समाजवादी विचारधारा के लिए क्या कार्य किया?

उत्तर:

  • उन्होंने 1948 में 'सोशलिस्ट पार्टी' जॉइन की।
  • 1950 में 'लेफ्ट स्पेशलिस्ट पार्टी' बनाई।
  • बाद में उनकी पार्टी का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विलय हुआ।

9. उनके नाम पर कौन-सी सड़क का नाम रखा गया है?

उत्तर:
नई दिल्ली में एक सड़क का नाम 'अरुणा आसफ़ अली मार्ग' रखा गया है।


10. उनके जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संस्मरण क्या है?

उत्तर:
एक बार बस में यात्रा के दौरान एक युवा महिला ने अरुणा जी को अपनी सीट दी। जब एक व्यक्ति ने आपत्ति जताई, तो अरुणा जी ने कहा, "माँ का अधिकार बहन से पहले होता है।" उनकी इस बात ने सबको प्रभावित किया।

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