Lala Lajpat Rai Birth Anniversary 28 January: पंजाब केसरी कहे जाने वाले लाला लाजपत राय जिन्होंने बलिदान देकर रखी आजादी की नींव

28 जनवरी – लाला लाजपत राय जयंती
लाला लाजपत राय, जिनकी बलिदान और संघर्ष से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण स्थान है, आज उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोंगा जिले में हुआ था। पंजाब में उनके अद्वितीय कार्यों के कारण उन्हें 'पंजाब केसरी' की उपाधि प्राप्त हुई। आज हम उनके योगदान को याद करते हैं और उनकी प्रेरणा से अपने जीवन को बेहतर बनाने का संकल्प लेते हैं।
लाला लाजपत राय का जीवन संघर्ष
लाला लाजपत राय का जीवन संघर्ष और साहस से भरा हुआ था। वह एक ईमानदार, साहसी और सत्य के उपासक थे। उनका कहना था, "पराजय और असफलता कभी कभी विजय की ओर बढ़ने के लिए जरूरी कदम होते हैं।" उनका विश्वास था कि इंसान को सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ की चिंता किए बिना साहसी और ईमानदार होना चाहिए। यही नहीं, उनका कहना था, "अगर सार्वजनिक जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है, वरना प्रगति के रास्ते में बाधा आ जाएगी।"
आर्य समाज और कांग्रेस से जुड़ाव
साल 1882 में लाला लाजपत राय ने एफए की परीक्षा पास की और इसके बाद वकालत की डिग्री प्राप्त कर प्रैक्टिस करने लगे। इसी दौरान, वह आर्य समाज के संपर्क में आए और उससे जुड़ गए। इसके बाद 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के साथ ही लाला लाजपत राय ने इस पार्टी में एक प्रमुख स्थान लिया और देश की स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया।
असहयोग आंदोलन और ब्रिटिश विरोध
लाला लाजपत राय ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्हें बर्मा की जेल में भेजा गया, और बाद में वह अमेरिका गए। अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को समर्थन दिया।

साइमन कमीशन विरोध
1928 में ब्रिटिश सरकार ने भारत में कुछ सुधार लाने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया। लेकिन इस कमीशन में किसी भी भारतीय को सदस्य नहीं बनाया गया। इस विरोध में लाला लाजपत राय ने अपने जीवन का सबसे बड़ा बलिदान दिया। उन्हें पुलिस की बर्बर लाठियों से गंभीर चोटें आईं, और 18 दिनों तक अस्पताल में इलाज कराने के बाद, 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया।
लाला लाजपत राय का योगदान
लाला लाजपत राय ने अपने जीवन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए जो योगदान दिया, वह हमेशा याद किया जाएगा। उनका संघर्ष, बलिदान और उनकी विचारधारा आज भी हमें प्रेरित करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा, "महान स्वतंत्रता सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन।"
लाला लाजपत राय की प्रेरणा
लाला लाजपत राय का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार, साहसी और समर्पित रहें, तो कोई भी मुश्किल हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से रोक नहीं सकती। उनका योगदान हमेशा भारतीय राजनीति, समाज और स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर रहेगा।
समाप्ति
हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष की वजह से ही आज हम स्वतंत्र देश में रह रहे हैं। लाला लाजपत राय की जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं।
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